To read or not to read
The dilemma of reading.
The dilemma of reading.
What is the meaning of life ?
About brevity, social media, connections and a lot about Shy.
भारतवासी अन्याय और सामाजिक स्तरों के विभाजन शास्त्र में इतने दक्ष हो चुके हैं कि जब फिर से यह स्थापित अत्याचारी व्यवस्था मानवीय अधिकारों और संविधान द्वारा प्रदत्त संरक्षणों की धज्जियां उड़ाएगी, हम धैर्य के धनी स्वभाव-वश सह लेंगे। यह कुचक्र चलता रहेगा।
यह लेख जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की एक प्रतियोगिता के लिए लिखा गया था।
There are two ways of lives.
Find out in the blog.
The freedom of expression.
भारत की आत्मा उसके गांवों में रहती है। गांधी का यह कथन आज से 70 वर्ष पूर्व भले ही प्रासंगिक रहा हो, परन्तु समय के मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। आज यह कहना बेहतर होगा कि उस आत्मा के खंड हो गए हैं, और उसका एक हिस्सा बिछड़ कर शहरों की अदृश्य झुग्गियों अथवा माचिसनुमा घरों में तिल्लियों की भांति रहता है।
वर्त्तमान परिवेश में गांव की महत्ता और संभावनाओं पर कुछ विचार।
लॉकडाउन की अवधि और 19 दिनों के लिए बढ़ा दी गई है। सोचा था, चूंकि एकांत उपयुक्त समय होता है लेखनी का, तो खूब लिखा जाएगा। औरों का लिखा हुआ तो पढ़ा, परन्तु स्वयं कुछ लिखने की इच्छा धीरे-धीरे कम होती गई।
More courage to us in the coming days.